
Trust & Safety
सुरक्षित तरीके से करें ऑनलाइन शॉपिंग: नकली साइटों और धोखाधड़ी वाले विज्ञापनों से रहें सतर्क
PhonePe Regional|4 min read|18 September, 2025
ऑनलाइन शॉपिंग अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग मायने रखती है। किसी के लिए यह स्ट्रेस मिटाने का तरीका है, तो काम में उलझे किसी शख्स के लिए मार्केट जाने के बजाय चुटकियों में खरीदारी का विकल्प। किसी मां के लिए स्कूल के कॉस्ट्यूम वगैरह खरीदने की टेंशन का हल है, तो ऐन मौके पर किसी दोस्त के लिए गिफ़्ट मंगाने का बेहद शानदार ज़रिया। इस तरह अलग-अलग लोग, अपनी ज़रूरतों के हिसाब से इसका उपयोग करते हैं। सच तो यह है कि ऑनलाइन शॉपिंग ने अपने और हमारे अपनों के लिए खरीदारी का तरीका पूरी तरह से बदल दिया है। लेकिन अफ़सोस की यह बात है कि इसका एक और पहलू भी है- ऑनलाइन शॉपिंग में धोखाधड़ी।
साइबर अपराधी नकली ऑनलाइन स्टोर बनाते हैं और सोशल मीडिया विज्ञापनों का उपयोग करके लोगों को धोखा देते हैं। वे यूज़र से उसकी व्यक्तिगत जानकारी हासिल कर लेते हैं या फिर ऐसे प्रोडक्ट के लिए पेमेंट करवा लेते हैं जो असल में मौजूद ही नहीं होते। अक्सर ये स्कैम इतने असली लगते हैं कि पहली नज़र में इन्हें पहचानना मुश्किल हो जाता है।
ऑनलाइन शॉपिंग में धोखाधड़ी से सिर्फ कुछ सौ या हज़ार रुपये का नुकसान ही नहीं होता है, बल्कि इससे लोगों को ऐसे नुकसान भी हो सकते हैं जो उन्हें लंबे समय तक परेशान करें:
- आर्थिक नुकसान: एक बार पैसा ट्रांसफ़र हो जाने के बाद उसे वापस पाना लगभग नामुमकिन होता है।
- डेटा चोरी: स्कैम वेबसाइट आपकी व्यक्तिगत जानकारी, जैसे कि क्रेडिट कार्ड डिटेल का गलत उपयोग कर सकती हैं।
- ब्रांड से भरोसा उठना: धोखाधड़ी का शिकार होने वाले लोग अक्सर उसी ब्रांड या पेमेंट गेटवे का दोबारा उपयोग करने से हिचकिचाते हैं, भले ही ट्रांज़ेक्शन असली और सुरक्षित क्यों न हो।
धोखाधड़ी करने वाले लोगों के भरोसे, जल्दबाज़ी और अच्छे ऑफ़र पाने की चाह का फ़ायदा उठाते हैं। आइए समझते हैं कि ये स्कैम किस तरह काम करते हैं और आप खुद को इनसे कैसे सुरक्षित रख सकते हैं।
ऑनलाइन शॉपिंग में धोखाधड़ी कैसे की जाती है
1. सोशल मीडिया पर नकली अकाउंट बनाकर
धोखाधड़ी करने वाले सोशल मीडिया पर डुप्लिकेट या नकली प्रोफ़ाइल बनाते हैं। वे आमतौर पर:
- खुद को मशहूर सेलर या ब्रांड बताकर पेश करते हैं।
- एक्सक्लूसिव ऑफर देने का दावा करके ऐसे डिस्काउंट दिखाते हैं जो बहुत ज़्यादा आकर्षक लगते हैं।
- प्रोडक्टकी फोटो चोरी करके, उसका उपयोग करते हैं और नकली रिव्यू दिखाते हैं।
- यूज़र पर UPI या बैंक ट्रांसफर के ज़रिए एडवांस पेमेंट करने के लिए दबाव डालते हैं और पेमेंट लेकर गायब हो जाते हैं।
उदाहरण के लिए, एक नकली सोशल मीडिया पेज, ट्रेंड में चल रहे कपड़ों को लोकप्रिय ब्रांड की तुलना में आधे दाम पर दिखा सकता है। पेमेंट हो जाने के बाद वह अकाउंट या तो खरीदार को ब्लॉक कर देता है या रातोंरात गायब हो जाता है।
2. धोखाधड़ी वाली ऑनलाइन वेबसाइटें
नकली वेबसाइटें अक्सर असली ई-कॉमर्स प्लेटफ़ॉर्म की नकल करके बनाई जाती हैं। ये आमतौर पर:
- फर्ज़ी वेबसाइटें, असली वेबसाइटों के जैसे ही डोमेन का नाम उपयोग करती हैं (जैसे xyz.in की बजाय xYz.in)।
- बेहद सस्ते ऑफर दिखाकर खरीदारों को फंसाती हैं।
- असुरक्षित पेमेंट गेटवे के कारण आपकी बैंक डिटेल्स चोरी होने का खतरा होता है।
- नकली प्रोडक्ट भेजते हैं या कभी-कभी कुछ भी नहीं भेजते।
ये वेबसाइटें इस बात पर निर्भर करती हैं कि खरीदार वेबसाइट की वास्तविकता, रिटर्न पॉलिसी या कॉन्टैक्ट डिटेल्स जैसी चीज़ों को दोबारा चेक करेंगें ही नहीं।
अगर ये संकेत मिलें तो सतर्क हो जाएं
सामान्य संकेतों के प्रति सतर्क रहने से आप ऑनलाइन शॉपिंग में धोखाधड़ी का शिकार होने से बच सकते हैं। इनमें से कुछ के बारे में नीचे बताया गया हैं:
- हद से ज़्यादा बढ़िया डिस्काउंट: अगर ऑफ़र कुछ ज़्यादा ही अच्छा लगे, तो इसमें धोखाधड़ी होने की संभावना होती है।
- कैश ऑन डिलीवरी (COD) की सुविधा न होना: स्कैम करने वाले अक्सर केवल एडवांस पेमेंट करवाने पर ज़ोर देते हैं।
- वेबसाइट का संदिग्ध डिज़ाइन: खराब व्याकरण, धुंधली तस्वीरें या काम न करने वाले लिंक बड़े संकेत हैं।
- अन-वेरिफाइड सोशल मीडिया हैंडल: ब्लू टिक या असली फॉलोअर्स की संख्या चेक करें।
- कस्टमर सपोर्ट न होना: असली बिज़नेस स्पष्ट रिटर्न/एक्सचेंज पॉलिसी और सक्रिय रूप से ग्राहक सेवा प्रदान करते हैं।
खुद को ऐसे बचाएं
हालांकि धोखेबाज़ लगातार चालाक होते जा रहे हैं, फिर भी आप अपनी सुरक्षा के लिए कुछ आसान कदम उठा सकते हैं:
- खरीदने से पहले चेक करें: सेलर या वेबसाइट के बारे में रिसर्च करें। रिव्यू और फीडबैक देखकर आप आसानी से स्कैम पकड़ सकते हैं।
- वेबसाइट की सुरक्षा जांच: पेमेंट डिटेल्स दर्ज करने से पहले URL में https:// और पैडलॉक का निशान देखें।
- विश्वसनीय प्लेटफॉर्म चुनें: सिर्फ उन्हीं ई-कॉमर्स ऐप और वेबसाइटों पर खरीदारी करें जो लोकप्रिय और भरोसेमंद हों।
- सोशल मीडिया पर सतर्क रहें: हर पेज या विज्ञापन पर भरोसा न करें। अकाउंट की असली पहचान जरूर चेक करें।
- संदिग्ध गतिविधि को रिपोर्ट करें: फर्ज़ी पेज को संबंधित प्लेटफ़ॉर्म पर रिपोर्ट करें और सरकारी साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें।
याद रखें, भरोसेमंद बिजनेस हमेशा ईमानदारी दिखाते हैं, सुरक्षित पेमेंट के विकल्प देते हैं और आप पर जल्दी पेमेंट करने का दबाव नहीं डालते।
अगली बार जब आप सोशल मीडिया या किसी अनजानी वेबसाइट पर ऐसा ऑफर देखें जो हद से ज़्यादा अच्छा हो, तो ठहरें, सावधानी से चेक करें और “अभी खरीदें” बटन दबाने से पहले दो बार सोचें।
फोनपे पर स्कैम की रिपोर्ट ऐसे करें
अगर आपको फोनपे के माध्यम से ठगी का शिकार बनाया गया है, तो इस तरह अपनी शिकायत दर्ज करें:
1.फोनपे ऐप: हेल्प सेक्शन में जाएं और “ट्रांज़ेक्शन में समस्या है” विकल्प के तहत अपनी समस्या दर्ज करें।
2. फोनपे कस्टमर केयर नंबर: आप फोनपे कस्टमर केयर नंबर 80–68727374 / 022–68727374 पर कॉल करके अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके बाद कस्टमर केयर एजेंट आपके लिए टिकट बनाएगा और आपकी समस्या हल करने में मदद करेगा।
3. सोशल मीडिया: आप धोखाधड़ी की रिपोर्ट नीचे दिए गए माध्यमों के ज़रिए कर सकते हैं
Twitter — https://twitter.com/PhonePeSupport
Facebook — https://www.facebook.com/OfficialPhonePe
4. शिकायत: मौजूदा शिकायत का समाधान न होने पर आप https://grievance.phonepe.com/ पर लॉग इन करके पहले से रेज़ किया गया टिकट आईडी शेयर कर सकते हैं।
5. साइबर सेल: अंत में, आप धोखाधड़ी की शिकायत अपने नज़दीकी साइबर क्राइम सेल में दर्ज कर सकते हैं या ऑनलाइन https://www.cybercrime.gov.in/ पर शिकायत रजिस्टर कर सकते हैं। आप साइबर क्राइम सेल हेल्पलाइन 1930 पर भी संपर्क कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण सूचना — फोनपे कभी भी आपकी गोपनीय या व्यक्तिगत जानकारी नहीं मांगता। अगर कोई ईमेल phonepe.com डोमेन से नहीं है और फोनपे का होने का दावा करता है, तो उसे नजरअंदाज करें। अगर आपको धोखाधड़ी का संदेह हो, तो तुरंत संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें।